नई कविता :द्वंद्व और तनाव की कविता है।
नई कविता वैविध्यपूर्ण जीवन के प्रति आत्मचेतस् व्यक्ति की प्रतिक्रिया है। मुक्तिबोध के इस परिभाषा से स्पष्ट है कि नई कविता में जीवन का कोई भी विषय अकाव्योचित नहीं माना जाता। उसमें मानव जीवन के यथार्थ को उकेरने का सीधा प्रयत्न प्रबल आग्रह के साथ हुआ है। अशोक बाजपेई कहते हैं कि संभवतः नई कविता के पहले कभी मानवीय संबंधों को इतना गौरव नहीं मिला था और न ही उसमें निहित करूणा, तनाव, अकेलापन, आतंक ,सुख और अहलाद- संक्षेप में मानवीय संबंधों की ट्रेजडी और कॉमेडी दोनों ही इतने सीधे ढंग से काव्य में अवतरित हुए थे जितने की नई कविता ने हुए हैं। स्पष्ट है कि नई कविता अपने समय- संदर्भों में मानवीय उपस्थिति और लगाव की कविता है। डॉक्टर जगदीश चंद्र गुप्त द्वारा दी गई परिभाषा नई कविता की मूल स्थापनाओ को और भी स्पष्ट करती है। नई कविता प्रगतिवादी यथार्थ की आघात से उत्पन्न छायावाद के स्वप्न भंग के बाद की कविता है, जिसमें व्यक्त भावनाएं कुहासे के बीच पनपनेवाले तंद्रालस से युक्त न होकर दिन की तेज रोशनी के बीच विषमताओं से धिरे जागृत मनुष्य की भावनाएं। इस परिभाषा से गुजरने पर नई कविता के प्रारंभ को लेकर डॉक्टर गु