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ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आर्थिक एवं सामाजिक नीतियां

भू-राजस्व व्यवस्था बक्सर युद्ध के उपरांत 1765 ई0 में सम्पन्न इलाहाबाद की संधि से कम्पनी को बंगाल ,बिहार , और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई। इसके पश्चात् कम्पनी ने अपने को यहाँ का स्वामी समझा तथा लगान बसूलने का कार्य यहाँ के डिप्टी दीवान के पास ही रहने दिया। इस दौरान कम्पनी ने लगान में काफी वृद्धि की किन्तु लगान व्यवस्था में असंगतियों को देखते हुए वारेन हेस्टिंग्स भू-राजस्व वसूलने का काम 1771 ई0 स्वंय कम्पनी की देख-रेख में शुरू किया। इस अवधि मे वारेंन हेस्टिग्स ने बोली लगाने की प्रथा शुरू किया। इस अवधि में वारेन हेसिटग्सं ने बोली लगाने की प्रथा शुरू की जिसके अंतर्गत उच्चतम बोली लगाने वाले को लगान बसूल का अधिकार दिया गया। प्रारम्भ में इसे पाँच वर्ष के लिए किया गया, लेकिन 1777 ई0 में इसे वार्षिक कर दिया गया। इस दौरान कम्पनी द्वारा निरतर लगान में वृद्धि के कारण किसानों की स्थिति अत्यंत दथनीय हो गई। लगान कृषकों से जबरदस्ती वसूला गयां । भूमि सार संग्रह इजारेदार या तालुक्केदारों द्वारा किया जाता था। वारेन हेस्टिग्स के कौसिल के सदस्य किया जाय, लेकिन इस पर कार्यान्वयन नही हो सका। इसप्रकार वारेन

ब्रिटिश काल में स्थानीय संस्थाओं का विकास

भारत में स्थानीय संस्थाएँ अंग्रेजी सरकार की देन है, वैसे तो प्राचीन भारत में स्थानीय संस्थाएँ मौर्य काल से ही प्रचलन में आ गई थी। आधुनिक भारत में पहली बार स्थानीय संस्थाएँ प्रेसीडेंसी नगरों में अस्तित्व में आई। 1687 ई0 में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने मद्रास में नगर निगम बनाने की अनुमति दी थी। इस में अंग्रेज और भारतीय दोनों सम्मिलित किए गये और इन्हें कारीगरों के लिए हॉल, एक जेल, एक पाठशाला और नगरपालिका के लिए कर्मचारियों के वेतन आदि अथवा नगर की अन्य सुविधाओं, रक्षा आदि के लिए बनाने जानेवाले प्रयोजनों के लिए कर लगाने की अनुमति दी गई। मद्रास के महापौर ने चुंगी लगाने की अनुमति माँगी ताकि सफाई के लिए व्यय करने का प्रबंध किया जा सके। 1726 ई0 में महापौर के न्यायालयों की स्थापना की गई परन्तु महापौर काक कार्य अधिकतर न्यायिक था। इस प्रकार महौर के न्यायालय कलकत्ता और मुम्बई में भी स्थापित किए गये। 1793 ई0 के चार्टर में नागरिक संस्थाओं को वैधानिक आधार प्रदान किया गया। गवर्नर जनरलों को प्रेसीडेंसी नगरों में शांति स्थापित करनेवाले अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया। इन शांति अधिकारियों को मकान