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Showing posts from December, 2017

बिहार में असंगठित क्षेत्र की श्रमिक महिलाओं की चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ

बिहार में असंगठित क्षेत्र की श्रमिक महिलाओं की चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ                                                                                                   बिहार के विकास में असंगठित क्षेत्र की महिलाओं का अहम योगदान रहा है। राज्य में असंगठित क्षेत्र में कामगार महिलाओं की कुल आबादी 1.3 करोड़ है। असंगठित क्षेत्र की महिलओं पर गठित टास्क-फोर्स की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में कुल महिला आबादी का 56 प्रतिशत महिला कामगार है और उनकी प्रतिदिन की कमाई 30 से 120 रूपये के बीच है। जबकि राष्ट्रीय सेम्पल सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बिहार की 11 प्रतिशत महिलायें ही कार्य करती है जबकि शेष 89 प्रतिशत महिलायें घरेलू कार्यों में संलग्न रहती है। एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट, पटना द्वारा गठित टास्क फोर्स की रिर्पोट श्रमजीवनी के अनुसार बिहार की कुल युवा आबादी का 50 प्रतिशत महिलायें किसी न किसी तरह बिहार की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान कर रही है।(1) बिहार ही नहीं सम्पूर्ण भारत में असंगठित मजदुरों की संख्या संगठित मजदुरों से काफी अधिक है। कुल मजदूरों में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का हिस्सा ल

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में स्वयंसहायता समूह की भूमिका

  ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में स्वयंसहायता समूह की भूमिका                                                 स्वंयसहायता समूह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका एवं रोजगार प्राप्ति का बेहतर विकल्प है। ग्रामीण महिलायें इन समूहों से जूड़कर न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है बल्कि इससे उनमें स्वावलंबन की प्रवृति भी बढ़ी है। स्वयंसहायता समूह न केवल महिलाओं में अपितु पुरूषों के लिए नवजीवन का संदेश लेकर आया है, खासतौर से उनलोगों के लिए जो आथि्र्ाक तंगी एवं गरीबी में जीवन गुजारने को अभिशप्त है।       स्वयंसहायता समूह ‘संगठन’ शक्ति की अवधारणा पर आधारित है।(1) इन समूहों के गठन के पीछे मान्यता है कि बिखरे हुए लोगों को उत्पीड़ित एवं शोषित किया जा सकता है लेकिन उन्हें संगठित किया जाय तो वे एक बड़ी ताकत बन सकते है। इसी अवधारणा पर काम करते हुए ग्रामीण भारत में महिला स्वयंसहायता समूहों ने लाखों अशिक्षित गरीब महिलाओं को आर्थिक स्वंवत्रता प्राप्त करने में समर्थ बनाया है। स्वयंसहायता समूह व्यापक समूहों की जरूरतों को लेकर कार्य क