प्राचीन गौरव - तक्षशिला विश्वविद्यालय
साभार : गूगल इमेज हिमालय की सुरम्यवादियों में सिन्धु एंव झेलम नदियों के दोआब में प्राचीन गांधार जनपद की राजधानी तक्षशिला स्थित था | पाकिस्तान पुरातत्व विभाग के अनुसार यह स्थल एशिया के बारह प्रमुख पुरातात्विक स्थलों में से एक है , जहाँ देश -विदेश के पर्यटक ,शिक्षार्थी और विद्वान अक्सर आया करते है |इसकी खोज भारतीय पुरातत्व विभाग के तात्कालिन निर्देशक सर जान मार्शल ने 1920 ई . में की थी | यह ऐतिहासिक नगरी बौद्धकाल में अपनी आर्थिक गतिविधियों के लिए काफी प्रसिध्द थी | यहाँ 36 प्रकार की शिल्प उधोग से सम्बन्धित व्यापारिक गतिविधियाँ प्रचलित थी | यहाँ के तक्षकार अपनी कला के लिए काफी विख्यात थे | डॉ . डी. डी. कोशाम्बी के अनुसार तक्षकारों की विथियाँ होने के कारण ही इस नगर का नाम तक्षशिला पड़ा था | पौराणिक कथाओ पर विश्वास किया जाय तो , अयोध्या के राजा राम के भाई भरत के पुत्र दक्ष को गांधार प्रदेश का राजा बनाया गया था , जिसने अपनी राजधानी के रूप में इस नगर का निर्माण करवाया था | फलतः इस शहर का नाम उसके नाम पर रखा गया | जबकि श्रीलंकाई साहित्य के अनुसार यह प्रेदश 500 ई. पूर्व से ही