मुग़ल स्थापत्य

फर्ग्युसन  के अनुसार स्वाभाविकता ,मोहकता,तथा भव्यता मुग़ल स्थापत्य की प्रमुख विशेषता है.स्मिथ ने मुग़ल स्थापत्य शैली इंडो -पर्शियन का मिला - जुला रूप है .अबुल फज़ल बताता है कि बादशाह अकबर सुन्दर भवनों की योजना बनता है ,और अपने मस्तिष्क एवं ह्रदय के विचारों को पत्तर एवं गारे का रूप प्रदान करता है .अकबर ने अधिकतर लाल पत्थरों का प्रयोग किया है .सर्वप्रथम हुमायूँ के मकबरे में चारो ओर चाहरदीवारी  निर्मित की गयी तथा इसके बाहरपेड़ -पौधे लगाने की योजना का भी प्रचलन  हुआ तथा मकबरे के अन्दर प्रकाश हेतु रौशनदान की भी व्यवस्था की गयी .
                         पर्सीब्राउन के अनुसार  ताजमहल को यदि हम एक वफ़ादार आशिक़ का खिराजकहते है तो हुमायूँ के मकबरे को हमें एक वफ़ादार बीबी की मह्नाबूबाना  पेशकस  कहना पड़ेगा .जमा मस्जिद मक्का के मस्जिद के आधार पर निर्मित किया गया था .मस्जिद के सेहन में शेख सलीम चिश्ती एवं इस्लाम खां का मकबरा है .दक्षिण द्वार के स्थान पर 176 फीट उच्चे बुलंद दरवाजे का निर्माण  किया गया है .जोधाबाई का महल अकबर द्वारा सीकरी में निर्मित सभी भवनों में सबसे बड़ा है .
                       अकबर का मकबरा आगरे के निकट सिकन्दर में स्थित है .इसका निर्माण जहाँगीर ने करवाया था इसकी चर्चा तुजूक ए जहाँगीरी में मिलती है . प्रारंभ में सिकंदर का नाम अकबर ने बहिश्ताबाद रखा था .मकबरे में संगमरमर निर्मित पांच मंजिलें है .दो पर कब्रें निर्मित है,पहली मंजिल पर निर्मित कब्र असली है .कब्र के चारो ओर ईश्वर के 99 नाम अरबी में अंकित  है .आगरा स्थित एतमाद-उड़-दौल्ला का मकबरा; जिसका निर्माण नूरजहाँ ने ईरानी शैली में 1626 ई. में करवाया था ;लाल पत्थर एवं सफ़ेद पत्थर यानी संगमरमर के कल कीके मध्य की कड़ी है .डॉ .बनारसीदास सक्सेना के अनुसार यदि ऐतिहासिक साहित्य पूर्णतया नष्ट भी हो जाय तो और केवल शाहजहाँकालीन भवन ही शाहजहाँ के शासन काल की गाथा कहने के  लिए शेष रहे तो ,तो इसमे तनिक संदेह नहीं कि तब भी इसे इतिहास में अति शोभायमान माना जायेगा .


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