प्रशासनिक एंव न्यायिक सुधार
भारत में सिविल सेवा की शुरूआत 1773 ई0 के रेग्यूलेटिंग एक्ट से मानी जाती है। वारेन हेस्टिंग्स के समय से कम्पनी में लोक सेवाओं का रूप नौकरशाही नुमा होने लगी। व्यापार के अतिरिक्त लोकसेवकों का कार्य राजस्व एकत्र करना, शौति और सुव्यवस्था स्थापित करना तथा भारतीयों पर राज करने का हो गया। 1772 में जिला कलक्टर का पद श्रृजित हुआ जो 1773 ई0 में ही समाप्त कर दिया गयां राल्फ शेल्डन की प्रथम जिला कलक्टर के रूप् में नियुक्ति हुई थी। 1786 में जिला राजस्व इकाई बनाया गया तथा 1787 मे राजस्व एवं उनकायक का कार्य संयुक्त करके जिला कलक्टर नियुक्त किया जाने लगां। 1784 के पिट्स इंडिया कानूसन के द्वारा कम्पनी के राजनीतिक तथा व्यापारिक कार्यकलाप अलग अलग कर दिया गये। 1833 के अधिनियम द्वारा लोक सेवाओं की अर्हता का निर्धारण किया गया। जिसमें कहा गया था कि कोई भी भारतीय केवल धर्म जन्म स्थान, वंश या वर्ग के आधार पर सरकारी सेवा के लिए अयोग्य नहीं समझा जाएगा। भारत में सिविल सेंवा का जन्मादाता कार्नवालिस को माना जाता है। वह प्रशासन को स्वच्छ बनाने के लिए दृढं संकल्प का उसने जिला कलक्टर का वेतन बढ़कर 1500 रूपया प्रत