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Showing posts from December, 2014

उर्जा गंगा परियोजना

http://gyanpradayani.com/ उर्जा-गंगा-परियोजना http://gyanpradayani.com/उर्जा-गंगा-परियोजना 10,000 करोड़ रुपये की लगत से बनारस सहित पूर्वी भारत के 16 बड़े जिलों की उर्जा आवश्यकता की पूर्ति हेतु भारत सरकार की एक नई पाईप लाइन विकसित करने की योजना है ;जो उत्तरप्रदेश के जगदीशपुर से पश्चिम बंगाल के हल्दिया को जोड़ेगा . इस पाईप लाइन की लम्बाई 2050 किमी.होगी .इस पाईप लाइन द्वारा उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद ,बनारस; बिहार के पटना, छपरा ,सिवान ,गोपालगंज ,बेतिया ,मोतिहारी,मुजफ्फरपुर और भागलपुर ;झारखण्ड के बोकारो,धनबाद ,रांची और जमशेदपुर तथा पश्चिम बंगाल के आसनसोल ,कोलकत्ता एवं दुर्गापुर को सस्ती तथा साफ-सुथरा ईंधन उपलब्ध कराया जायेगा .इसके अतिरिक्त मृतप्राय हो चुके गोरखपुर खाद कारखाना (यूपी ) बरौनी खाद कारखाना (बिहार ) सिंदरी खाद कारखाना (झारखण्ड )तथा दुर्गापुर खाद कारखाना (पं .बंगाल )उर्जा की पूर्ति करेगा .ये खाद कारखाने नेफ्था पर आधारित थे ,उन्हें यह पाईप लाइन कव्ह्व्हा मॉल की भी आपूर्ति करेगा .साथ ही इस पाईप लाइन से बरौनी एवं हल्दिया रिफायनरी को नेचुरल गैस भी दी जाएगी तथा दुसरे बड़े उद्योगों को ;ज

KHILAPHAT MOVEMENT

 23 नवम्बर 1919 दिल्ली में  गांधीजी   की अध्यक्षता में अखिल भारतीय खिलाफत की मीटिग गटित की गयी थी.  गांधीजी के कहने पर एक शिष्ट मंडल   डॉ. अंसारी की अध्यक्षता में वायसराय से मिलने इंगलैंड   गया | दूसरा दल   मौलाना शौकत अली और मुहम्मद अली के नेतृत्व में लंदन   गया था| 20 जून 1920 को इलाहाबाद   में हुई हिन्दू - मुस्लिम की संयुक्त बैठक में असहयोग के अस्त्र को अपनाये जाने का निर्णय लिया गया था| 31 अगस्त 1920 का दिन खिलाफत दिवस   के रूप में मानाने का निर्णय लिया गया था | लाला लाजपत राय   की अध्यक्षता में   सितम्बर 1920 में कोलकता   के   कांग्रेस के विशेष अधिवेसन में असहयोग आंदोलन को स्वीकार   कर लिया गया था | इसका सबसे प्रबल विरोध   चितरंजन दास   ने किया था | उनका विरोध  विधान परिषदों के बहिष्कार   को लेकर था| जिन्ना ,बिपन चंद्रपाल  और  जी.  एस.  खापर्डे  ने इसका विरोध करते हुए कांग्रेस छोड़ दिय                                दिसम्बर 1920 के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव अंतिम रूप से पारित कर  दिया गया | गांधीजी ने घोषणा की थी की एक वर्ष में आजादी मिल जाएगी | अलहिलाल के  

आजाद हिन्द फ़ौज

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आज़ाद हिन्द फ़ौज http://gyanpradayani.com 26जनवरी 1941ई.को नेताजी सुभाषचंद्र बोस  जियाउद्दीन के भेष में कोलकत्ता से पेशावर पहुंचे थे,इस कार्य में उनकी सहायता भगतराम ने की थी 'वे पेशावर से काबुल ,फिर मास्को ;मास्को से जर्मनी की यात्रा की थी .नाजी शासक हिटलर ने सुभाषचंद्र बोस भारत की आज़ादी के लिए किये जा रहे उनके प्रयत्नों में सहायता का वचन दिया था.जर्मनी में बोस ने एक सेना बनायीं जिसका नाम ' मुक्ति सेना ' रखा ;इसका मुख्यालय ड्रेसडेन में बनाया गया था . बर्लिन रेडिओ पर सुभाषचन्द्र बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ भाषण किया,तत्पश्चात यहाँ के लोगो ने इन्हें ' नेताजी ' की उपाधि से विभूषित किया था .28 मार्च 1942 को रासबिहारी बोस ने सभी भारतीय नेताओं का एक सम्मलेन टोकियो में बुलाया था .इस सम्मलेन में ' इंडियन इंडिपेंडेंस लीग ' या आजाद हिन्द आर्मी के गठन की घोषणा की गयी .बैंकाक सम्मलेन (14 -23 जून 1942) में ' इंडियन इंडिपेंडेंस लीग ' या आजाद हिन्द आर्मी की विधिवत रूप से स्थापना की गयी तथा सुभाषचंद्र बोस को पूर्वी एशिया आने का निमंत्रण दिया गया .      सुभाषचंद्र

सिन्धु घाटी सभ्यता

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http://gyanpradayani.com/प्राचीन-भारत-का-इतिहास आरंभिक हड़प्पा सभ्यता के उदभव से पहले कृषक समुदाय के उत्पति का प्राचीनतम साक्ष्य 5000 ई.पूर्व में मेहरगढ़ से प्राप्त हुआ है .इस  काल के लीवन नामक स्थान से पत्थर के औजार बनाने वाले एक बहुत बड़े कारखाने का पता चला है .पंजों में सर्प को दबाये गरुड़ की आकृति नाल संस्कृति में मिली है .हड़प्पा सभ्यता के बारे में पहली बार चार्ल्स मैसन ने 1826 ई.में जिक्र किया था ,1831में एलेक्जेंडर बर्न्स ने यहाँ नगर के नदी वाले  किनारे पर किले के खंडहर देखे.लेकिन दिन्धू सभ्यता की बस्तियों के बारे में पहली पुरातात्विक रिपोर्ट 1875 ई. सर एलेक्जेंडर कनिंघम ने लिखी थी.सर जॉन मार्शल की प्रेरणा से और निर्देशन में 1920 के दशक में मोहनजोदड़ो  और हड़प्पा का उत्खनन प्रारंभ हुआ .हड़प्पा सभ्यता की बस्तियों को अधिकतर गुलाबी रंग के मिटटी के बर्तनों से पहचाना जाता है .फेयर सर्विस ने मोहनजोदोड़ो की जनसँख्या 41 हजार 250 बताई है. साभार:गूगल इमेज 

सामाजिक न्यायपीठ

http://gyanpradayani.com/सैम-सामयिकी भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देश में बढ़ रहे सामाजिक मामलों के त्वरित निपटान के लिए एक अलग पीठ बनाये जाने की घोषणा 3दिसम्बर 2014 को किया है .इस पीठ का नाम "सामाजिक न्यायपीठ " रखा गया है .यह पीठ 12 दिसम्बर से प्रत्येक शुक्रवार को दोपहर के बाद दो बजे से सामाजिक  समस्याओं से जुड़े मामलों पर सुनवाई करेगी.इस विशेष पीठ की जिम्मेदारी न्यायमूर्ति बी .लोकुर और यूयू ललित को सौपी गयी है .                                            सर्वोच्च न्यायालय के विज्ञप्ति के अनुसार यह पीठ खासकर महिलाओं ,बच्चों ,और वंचित वर्ग से जुड़े सामाजिक मामलों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करेगी .प्राकृतिक न्याय की व्याख्या करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि न्यायपालिका को ऐसे मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए .इसके अतिरिक्त ,सामाजिक न्यायपीठ का उद्देश्य संविधान में लोगो को दिए गए अधिकारों को उन तक पहुचाने के लिए विशेष प्रयत्न करना है ,ताकि उसका लाभ प्रत्येक व्यक्ति आसानी से उठा सके .पीठ उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि भारतीय सविधान के आदर्शों में से एक सामाज

CENSUS 2011 - 2

http://gyanpradayani.com/geography-3 लिंगानुपात :     2011 की जनगणना के अनुसार भारत में प्रति 1000 पुरषों पर महिलाओं की संख्या 940 है;सबसे अधिक लिंगानुपात वाला राज्य केरल है ,जबकि सबसे कम लिंगानुपात वाला राज्य हरियाणा है.   तीन सर्वाधिक लिंगानुपात वाले  राज्य क्रमशः -        राज्य                                              महिलाए (प्रति हजार )    1. केरल                                                    1084    2.तमिलनाडु                                              995    3.आँध्रप्रदेश                                               992    केन्द्रशासित राज्य  क्रमशः -                 महिलाए (प्रति हजार )    1.पुडुचेरी                                                   1038    2.लक्षद्वीप                                                946    3.अंडमान-निकोबार                                   878   तीन सबसे कम  लिंगानुपात वाले  राज्य क्रमशः -        राज्य                                              महिलाए (प्रति हजार )   1.हरियाणा                            

CENSUS -2011 ( IN INDIA )

http://gyanpradayani.com/geography-3 भारत की कुल आबादी  - 121.02करोड़ है ,जिसमे 62.37 करोड़ पुरुष  और 58.65 करोड़ महिलाएं है सर्वाधिक जनसंख्यावाला राज्य                                               आबादी (% में  ) 1.उत्तरप्रदेश                                                                          16.49 2.महाराष्ट्र                                                                              9.29 3.बिहार                                                                                   8.58 4.पश्चिम बंगाल                                                                     7.55 सबसे कम जनसंख्यावाले  संघ राज्य क्षेत्र  1.लक्षद्वीप                                                                            0.01 2.दमन एवं दीव                                                                      0.02 3.अंडमान निकोवार द्वीप                                                      0.03 4.दादर,नगर ,हवेली                                                                0.03 सबसे कम जनसंख

शरिया इक्विटी फंड - एक लाभकारी योजना

अल्पसंख्यकों के हितों को सुरक्षित रखने  की संभावनाओं का पता लगाने के लिए गठित सच्चर कमिटी ने 2006 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए मुसलमानों की  आर्थिक स्थिति में सुधर के लिए उन्हें फाइनेंसियल सिस्टम  यानी,बीमा ,बैंकिंग ,शेयर मार्किट एवं म्यूचुयल फंड आदि से जुड़ने की वकालत की थी .इसी के  मद्देनजर ,इस्लामिक नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए एसबीआई एफएम ने एसबीआई शरिया इक्विटी फंड को बाजार में उतरने की योजना बनाई थी .यह फंड 1दिसंबर 2014 को लाँच किया जाना था ,जिसे एसबीआई ने फिलवक्त ठंढे बस्ते में डाल दिया है .यदि यह संभव हो जाता तो भारत ,ब्रिटेन के बाद दूसरा ऐसा देश होता ,जहाँ के किसी सार्वजनिक क्षेत्र के किसी बैंक ने शरिया इक्विटी फंड बाजार में उतारा है .निजी क्षेत्र कुछ बैंकों जैसे ,गोल्डमैन सेक्स (अमेरिका) ,टोरस एवं टाटा आदि ने इसप्रकार के बंद अभी तक  निर्गत किये है .                  एसबीआई शरिया इक्विटी फंड को बाजार में लेन के लिए मई 2014 में एसबीआई एफएम कंपनी ने सेबी में अप्लाई की थी .जुलाई 2014 में इसे सेबी की अनुमति मिल गयी थी .लेकिन एसबीआई एफएम के अधिकारिओं का कहना है कि एसबीआ