पश्चिम भारत का महान शिक्षण केंद्र - बलभी
प्राचीन काल में पश्चिम भारत बौद्ध धर्म के हीनयान शाखा के केंद्र के रुप में उभरा।उन्होंने यहां कई मठ स्थापित किये। ये मठ शिक्षण केंद्र के रूप में काफी प्रसिद्ध हुए,इनमें से एक बलभी भी था।गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में आधुनिक 'वल'नामक स्थान पर नालंदा की कोटि का एक विश्वविद्यालय था।बलभी शहर की स्थापना मैत्रकवंशी राजा भटार्क ने की थी।सातवीं शताब्दी तक बलभी एक व्यापारिक केंद्र के साथ-साथ एक शैक्षिक केंद्र के रूप में भी काफ़ी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका था।प्रसिद्ध चीनी बौद्ध यात्री हुएनसांग के अनुसार यहाँ एक सौ बौद्ध विहार थे जिनमें लगभग 6000 हीनयानी भिक्षु निवास करते थे। बलभी हीनयान बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रमुख उच्च शिक्षा का केंद्र था।एक अन्य बौद्ध चीनी यात्री इतसिंग यह जानकारी देता है कि यहॉं सभी देशों के विद्वान एकत्रित होते थे तथा विविध सिद्धांतों पर शास्त्रार्थ करके उनकी सत्यता निर्धारित किया करते थे।यहाँ के अध्यापक दो या तीन वर्षों तक छात्रों को पढ़ाया करते थे तथा इसी अवधि में छात्र प्रकांड विद्वान बन जाते थे।बलभी में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भारत के विभिन्न प