बंगाली संस्कृति के विकास में ईश्वरचंद्र विद्यासागर का योगदान
साभार :गूगल इमेज बंगाल में ईश्वरचन्द्र विद्यासागर द्वारा विधवाविवाह प्रारम्भ करने के 10 वर्ष पूर्व बहुबाजार के बाबू नीलकमल बंद्योपाध्याय ने कुछ अन्य प्रबुद्व जनों के साथ मिलकर विधवा पुनर्विवाह कराने की असफल चेष्टा की। 1845 ई0 में बंगाल ब्रिटिश इंडियन सोसायटी ने इस प्रश्न पर धर्मसभा एवं तत्वबोधिनी पत्रिका से सम्पर्क साधा, लेकिन दोनों संगठनों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। 1853 ई0 में गुजरात में एक युवा ने दिवालीबाई नामक एक विधवा से विवाह कर इस आन्दोलन को तीव्र कर दिया। नदिया के महाराजा श्रीसचंद्र और वर्द्वमान के महाराजा महातबचंद के अनुकूल रूख की सूचना ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने गवर्नर जनरल के परिषद् के सदस्य जे0 पी0 ग्रांट को दी। इधर महाराष्ट्र में बाबा पद्मसी की दो पुस्तकें विधवा पुनर्विवाह पर छपी कुटुम्ब सुधर्मा एवं यमुना प्रयत्न। इन दोनों पुस्तकों ने युवाओ को विधवा पुनर्विवाह...