नगरीकरण का शाब्दिक अर्थ है ग्रामीण संस्कृति से भिन्न नगर सभ्यता का विकास।ऐसे वर्ग का उदय एवं ऐसे उत्पादि वर्ग का उदय शहरीकरण के लिए आवश्यक हो जाता है जो उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन स्वयं न करता हो तथा दूसरा वर्ग,अपने खाने से अधिक उत्पादन उपभोक्ताओं के जीने के लिए करें, जिसे कृषि अधिशेष कहा जाता है।यह अधिशेष अनुत्पादक वर्ग तक नियमित रूप से पहुँचता रहे इसके लिए ऐसे प्रशासन तंत्र की आवश्यकता होती है जो इस जिम्मेदारी को ठीक से निभाये।अतः नगरीकरण के लिये आवश्यक तत्व है-नियोजित नगर,पूर्णकालिक शासक या प्रशासक वर्ग,शिक्षित वर्ग,कृषि अधिशेष,कर-प्रणाली,व्यापार और वाणिज्य,मुद्रा प्रणाली,बाँट और माप,संचार और यातायात के साधन,लिपि की एकरूपता,व्यवस्थित स्थापत्य और शिल्प,बड़े-बड़े स्मारकीय भवनों का निर्माण,धर्म की स्थापना,धार्मिक हस्तियों का उदय तथा ग्रामीण जनता का इन शहरों की ओर उचित मात्रा में पलायन आदि। नगरीय क्रान्ति वाक्य का प्रयोग सर्वप्रथम वी.जी.चाइल्ड ने उस प्रक्रिया के लिए किया जिसके फलस्वरूप अनपढ़,अशिक्षित कृषि संस्कृति के लोग,जो गाँवों और अन्य छोटे-छोटे स्थानों में रह रहे थे,ने मिश्रित और बड़े
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