ब्लैकहोल की कहानी (STORY OF BLACK HOLE)
ब्लैकहोल की घटना बहुत ही रोचक और अदभुत है.ब्लैकहोल कहानी के रचयिता जे0 जेड हॉलवेल माने जाते है जो शेष जीवित 23 प्राप्तियों में से एक थे। इनके अनुसार युद्ध की आमप्रणाली के अनुसार अंग्रेजों बंदियों को जिसमें स्त्रियाँ और बच्चे भी शामिल थे, एक कहा में बंद कहा में बंद कर दिया गया। 118 फूट लम्बे और 14 फीट 10 इंच चौडे़ कक्ष में 146 कैदी बंद थे।
20 जून 1756 की रात्रि को ये बंद किए गये थे तथा अगले प्रातः उनमें से केवल 23 व्यक्ति ही जीवित बच पाये थे। शेष उस जून की गर्मी, घुटन तथा एक दूसरे से कुचले जाने से मर गये थे। इतिहासकारों द्वारा इस घटना को विशेष महत्व नहीं दिया गया है तथा समकालीन इतिहासकार गुलाम हुसैन ने अपनी पुस्तक सियार-उल-मुत्खैसि में इनका कोई उल्लेख नहीं किया है। परन्तु ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस घटना को नवाब की विरूद्ध लगभग 7 वर्ष तक चलते रहनेवाले आक्रामक युद्ध के लिए प्रचार का कारण बनाए रखा तथा अंग्रेजी जनता का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे। यह घटना इसके पश्चात होनेवाले प्रतिकार के लिए विशेष महत्व रखती है।
20 जून 1756 की रात्रि को ये बंद किए गये थे तथा अगले प्रातः उनमें से केवल 23 व्यक्ति ही जीवित बच पाये थे। शेष उस जून की गर्मी, घुटन तथा एक दूसरे से कुचले जाने से मर गये थे। इतिहासकारों द्वारा इस घटना को विशेष महत्व नहीं दिया गया है तथा समकालीन इतिहासकार गुलाम हुसैन ने अपनी पुस्तक सियार-उल-मुत्खैसि में इनका कोई उल्लेख नहीं किया है। परन्तु ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस घटना को नवाब की विरूद्ध लगभग 7 वर्ष तक चलते रहनेवाले आक्रामक युद्ध के लिए प्रचार का कारण बनाए रखा तथा अंग्रेजी जनता का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे। यह घटना इसके पश्चात होनेवाले प्रतिकार के लिए विशेष महत्व रखती है।
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