KHILAPHAT MOVEMENT


  1.  23 नवम्बर 1919 दिल्ली में गांधीजी की अध्यक्षता में अखिल भारतीय खिलाफत की मीटिग गटित की गयी थी. गांधीजी के कहने पर एक शिष्ट मंडल  डॉ. अंसारी की अध्यक्षता में वायसराय से मिलने इंगलैंड गया |दूसरा दल मौलाना शौकत अली और मुहम्मद अली के नेतृत्व में लंदन गया था|20 जून 1920 को इलाहाबाद में हुई हिन्दू - मुस्लिम की संयुक्त बैठक में असहयोग के अस्त्र को अपनाये जाने का निर्णय लिया गया था|31 अगस्त 1920 का दिन खिलाफत दिवस के रूप में मानाने का निर्णय लिया गया था |लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में सितम्बर 1920 में कोलकता के  कांग्रेस के विशेष अधिवेसन में असहयोग आंदोलन को स्वीकार कर लिया गया था |इसका सबसे प्रबल विरोध चितरंजन दास ने किया था | उनका विरोध विधान परिषदों के बहिष्कार को लेकर था|जिन्ना ,बिपन चंद्रपाल  और  जी.  एस.  खापर्डे  ने इसका विरोध करते हुए कांग्रेस छोड़ दिय                               दिसम्बर 1920 के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव अंतिम रूप से पारित कर  दिया गया |गांधीजी ने घोषणा की थी की एक वर्ष में आजादी मिल जाएगी |अलहिलाल के  माध्यम  से  अबुल  कलाम  आजाद  ने अपनी काफी सक्रीयता दिखाई थी |नागपुर अधिवेशन में कांग्रेस के संविधान से सम्बन्धित दो प्रस्ताव पारित :-(क)लक्ष्य - ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर स्वशास्त के स्थान पर स्वराज की प्राप्ति |(ख)रचनात्मक कार्यक्रम तैयार करने तथा सांगठनिक परिवर्तन पर बल |गांधीजी सितम्बर 1920 में कलकाता अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव पेश करते हुए बोला था   :    "अंग्रेज़ी सरकार शैतान है जिसकें साथ सहयोग संभव नहीं  स्वराज की प्राप्ति के लिए हमारे द्वारा प्रगतिशील अहिंसात्मक असहयोग की नीतिअपनाई जानी चाहिए .  गांधीजी के  नेतृत्व में 1 अगस्त  1920 को असहयोग अन्दोलन प्रारम्भ हुआ था |
KHILAPHAT MOVEMENT - 1919http://gyanpradayani.com

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