आजाद हिन्द फ़ौज

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26जनवरी 1941ई.को नेताजी सुभाषचंद्र बोस  जियाउद्दीन के भेष में कोलकत्ता से पेशावर पहुंचे थे,इस कार्य में उनकी सहायता भगतराम ने की थी 'वे पेशावर से काबुल ,फिर मास्को ;मास्को से जर्मनी की यात्रा की थी .नाजी शासक हिटलर ने सुभाषचंद्र बोस भारत की आज़ादी के लिए किये जा रहे उनके प्रयत्नों में सहायता का वचन दिया था.जर्मनी में बोस ने एक सेना बनायीं जिसका नाम ' मुक्ति सेना ' रखा ;इसका मुख्यालय ड्रेसडेन में बनाया गया था . बर्लिन रेडिओ पर सुभाषचन्द्र बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ भाषण किया,तत्पश्चात यहाँ के लोगो ने इन्हें ' नेताजी ' की उपाधि से विभूषित किया था .28 मार्च 1942 को रासबिहारी बोस ने सभी भारतीय नेताओं का एक सम्मलेन टोकियो में बुलाया था .इस सम्मलेन में ' इंडियन इंडिपेंडेंस लीग ' या आजाद हिन्द आर्मी के गठन की घोषणा की गयी .बैंकाक सम्मलेन (14 -23 जून 1942) में ' इंडियन इंडिपेंडेंस लीग ' या आजाद हिन्द आर्मी की विधिवत रूप से स्थापना की गयी तथा सुभाषचंद्र बोस को पूर्वी एशिया आने का निमंत्रण दिया गया .
     सुभाषचंद्र बोस ने अंग्रेजों के विरुद्ध भारत की स्वतंत्रता के भारतियों को अपना प्रथम सन्देश टोकियो रेडियो से दिया था .यह सन्देश " राष्ट्रीयता " के नाम से किया था.इस समय तक आज़ाद हिन्द फौज के गठन की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी थी .जपजी सैनिक अधिकारी मेजर फुजिहरा ने एक धार्मिक नेता प्रीतम सिंह की मदद से भारतीय सेना के आत्मसमर्पण करने वाले कैप्टन मोहन सिंह को भारत के स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए उत्प्रेरित किया .सिंगापूर के पतन के बाद आत्मसमर्पण करनेवाले 40,000 सैनिको को मेजर फुजिहरा ने कैप्टन मोहन सिंह को सुपुर्द कर दिया .तत्पश्चात सितम्बर 1942 में आजाद हिन्द फौज का औपचारिक गठन हो गया था .जिसका एकमात्र उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना था.2 जुलाई 1943 को सुभाषचंद्र बोस सिंगापूर पहुंचे तथा 5 जुलाई 2043 को उन्हें भारतीय स्वतंत्रता लीग की कमान सौप दी गयी ,रासबिहारी बोस इसके परामर्शदाता बने.21 अक्तूबर 1943 को सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिना फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से सिंगापुर में स्वतन्त्र भारत की एक अस्थायी सरकार का गठन किया तथा इसके प्रथम प्रधानमंत्री बने .भारतीय जनता को संबोधित भाषण में उन्होनें " तुम मुझे खून दो, मैं तुझे आज़ादी दूंगा " तथा ' दिल्ली चलो ' का नारा दिया .
                        सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्ववाली अस्थायी  सरकार को विश्व के  9बड़े देशों  ने मान्यता प्रदान की थी. 23अक्तूबर 1943 को इस सरकार ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी.
जापान ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह को जीतकर अस्थायी सरकार को सौप दिया .अंडमान का नाम "शहीद द्वीप " और निकोबार का नाम "स्वराज " द्वीप रखा गया था .30 दिसंबर 1943 को इन द्वीपों पर स्वतन्त्र भारत का झंडा फहरा दिया गया .22 दिसम्बर 1944 को सुभाषचंद्र बोस ने शहीद दिवस मनाया था .18अगस्त 1945 को सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु हो गयी,यह घटना फारमोसा द्वीप के पास हवाई यात्रा क्र दौरान उनके विमान में आग लग जाने के कारण हुयी थी .
                                                  सौजन्य: गूगल इमेज 

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