सामाजिक न्यायपीठ


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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देश में बढ़ रहे सामाजिक मामलों के त्वरित निपटान के लिए एक अलग पीठ बनाये जाने की घोषणा 3दिसम्बर 2014 को किया है .इस पीठ का नाम "सामाजिक न्यायपीठ " रखा गया है .यह पीठ 12 दिसम्बर से प्रत्येक शुक्रवार को दोपहर के बाद दो बजे से सामाजिक  समस्याओं से जुड़े मामलों पर सुनवाई करेगी.इस विशेष पीठ की जिम्मेदारी न्यायमूर्ति बी .लोकुर और यूयू ललित को सौपी गयी है .
                                           सर्वोच्च न्यायालय के विज्ञप्ति के अनुसार यह पीठ खासकर महिलाओं ,बच्चों ,और वंचित वर्ग से जुड़े सामाजिक मामलों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करेगी .प्राकृतिक न्याय की व्याख्या करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि न्यायपालिका को ऐसे मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए .इसके अतिरिक्त ,सामाजिक न्यायपीठ का उद्देश्य संविधान में लोगो को दिए गए अधिकारों को उन तक पहुचाने के लिए विशेष प्रयत्न करना है ,ताकि उसका लाभ प्रत्येक व्यक्ति आसानी से उठा सके .पीठ उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि भारतीय सविधान के आदर्शों में से एक सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय ने इस सामाजिक न्याय पीठ का गठन किया है .जिससे सामाजिक मुद्दों से विशेष तौर पर निपटा जा सके .
    सामाजिक न्यायपीठ के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट करते हुए इसके दायरे में कई चीजों को सम्मिलित करने की कोशिश की गयी है .सर्वोच्च न्यायालय ने अपानी विज्ञप्ति में सामाजिक समस्याओं से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है ;जैसे :-
 1.पौष्टिक आहार के अभाव  में महिलाओं और बच्चों की होनेवाली आकाल मौत को रोकने के लिए उचित कदम उठाना और वंचितों को स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन उपलब्ध कराना.
2. गोदामों में पड़े अनाज को आकाल प्रभावित क्षेत्रों के लोगो के बीच वितरित करने के लिए नई सार्वजनिक वितरण योजना की रुपरेखा तैयार करना .
3.निःसहायएवं बेघर लोगों के लिए रात्रि आश्रयगृह  की व्यवस्था और पेयजल की सुविधा उपलब्ध करना.
4.सभी नागरिकों को बिना किसी भेद-भाव के ,आर्थिक रूप धनी एवं गरीब सभी व्यक्तियों को चिकित्सा सुविधा मुहैय्या  करना.
5देह व्यापार में धकेली गयी महिलायों के लिए सुरक्षित जीवन सुनिश्चित करना ,आदि .

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