शरिया इक्विटी फंड - एक लाभकारी योजना
अल्पसंख्यकों के हितों को सुरक्षित रखने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए गठित सच्चर कमिटी ने 2006 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए मुसलमानों की आर्थिक स्थिति में सुधर के लिए उन्हें फाइनेंसियल सिस्टम यानी,बीमा ,बैंकिंग ,शेयर मार्किट एवं म्यूचुयल फंड आदि से जुड़ने की वकालत की थी .इसी के मद्देनजर ,इस्लामिक नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए एसबीआई एफएम ने एसबीआई शरिया इक्विटी फंड को बाजार में उतरने की योजना बनाई थी .यह फंड 1दिसंबर 2014 को लाँच किया जाना था ,जिसे एसबीआई ने फिलवक्त ठंढे बस्ते में डाल दिया है .यदि यह संभव हो जाता तो भारत ,ब्रिटेन के बाद दूसरा ऐसा देश होता ,जहाँ के किसी सार्वजनिक क्षेत्र के किसी बैंक ने शरिया इक्विटी फंड बाजार में उतारा है .निजी क्षेत्र कुछ बैंकों जैसे ,गोल्डमैन सेक्स (अमेरिका) ,टोरस एवं टाटा आदि ने इसप्रकार के बंद अभी तक निर्गत किये है .
एसबीआई शरिया इक्विटी फंड को बाजार में लेन के लिए मई 2014 में एसबीआई एफएम कंपनी ने सेबी में अप्लाई की थी .जुलाई 2014 में इसे सेबी की अनुमति मिल गयी थी .लेकिन एसबीआई एफएम के अधिकारिओं का कहना है कि एसबीआई एफएम सरकारी म्यूचुयल फंड कंपनी है जिसमे कंपनी के रिटर्न्स एवं कमीशन का ख्याल रखना पड़ता है .अतः इसकी पूरी समीक्षा किये जाने के बाद ही यह फंड बाजार में लाया जायेगा .इसीलिए इसे अभी रोका जा रहा है .
यों तो भारत सहित विश्व के कई देशों के शेयर बाजारों में शरिया के नियम लागु है.भारत में भी बीएसई में शरिया आधारित कंपनियों का अलग इंडेक्स है .इसप्रकार की कम्पनियाँ एस एंड पी बीएसई 500शरिया इंडेक्स में लिस्टेड है.एनएसइ में भी सीएनएक्स निफ्टी शरिया इंडेक्स है .शरिया फंड्स भी दुसरे फंड्स की ही तरह होते है ;लेकिन के बिच मुलभुत अंतर यह होता है कि इस फंड का पैसा उन कंपनियों में ही लगता है जो शरियत के नियमों का पूरी तरह पालन करते है .ये कम्पनियाँ न तो व्याज आधारित होती है और न ही शराब ,केसिनो,और गैर हलाल खाद्य उत्पाद के क्षेत्रों में अपना निवेश कराती है .शरिया फंड्स में पैसा लगानेवालों को कई फायदें है ;जो इन्वेस्टर व्याज नहीं लेना चाहता ,उसको लाभांश मिलता है और जो व्यक्ति दोनों में से किसी भी विकल्प को नहीं चुनना चाहता है ,उसे ग्रोथ का ऑप्शन मिलाता है .जिससे उसकी नेट असेट वैल्यू बढ़ती जाती है .इस फंड्स से सम्बंधित सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जहाँ बीएसई के अन्य इंडेक्स के रिटर्न करीब 14 प्रतिशत है , वहीँ शरिया इंडेक्स का रिटर्न 18 प्रतिशत दर्ज किया गया है . इस प्रकार के फंड्स अल्पसंख्यको के लिए निहायत ही लाभकारी हो सकते है .
एसबीआई शरिया इक्विटी फंड को बाजार में लेन के लिए मई 2014 में एसबीआई एफएम कंपनी ने सेबी में अप्लाई की थी .जुलाई 2014 में इसे सेबी की अनुमति मिल गयी थी .लेकिन एसबीआई एफएम के अधिकारिओं का कहना है कि एसबीआई एफएम सरकारी म्यूचुयल फंड कंपनी है जिसमे कंपनी के रिटर्न्स एवं कमीशन का ख्याल रखना पड़ता है .अतः इसकी पूरी समीक्षा किये जाने के बाद ही यह फंड बाजार में लाया जायेगा .इसीलिए इसे अभी रोका जा रहा है .
यों तो भारत सहित विश्व के कई देशों के शेयर बाजारों में शरिया के नियम लागु है.भारत में भी बीएसई में शरिया आधारित कंपनियों का अलग इंडेक्स है .इसप्रकार की कम्पनियाँ एस एंड पी बीएसई 500शरिया इंडेक्स में लिस्टेड है.एनएसइ में भी सीएनएक्स निफ्टी शरिया इंडेक्स है .शरिया फंड्स भी दुसरे फंड्स की ही तरह होते है ;लेकिन के बिच मुलभुत अंतर यह होता है कि इस फंड का पैसा उन कंपनियों में ही लगता है जो शरियत के नियमों का पूरी तरह पालन करते है .ये कम्पनियाँ न तो व्याज आधारित होती है और न ही शराब ,केसिनो,और गैर हलाल खाद्य उत्पाद के क्षेत्रों में अपना निवेश कराती है .शरिया फंड्स में पैसा लगानेवालों को कई फायदें है ;जो इन्वेस्टर व्याज नहीं लेना चाहता ,उसको लाभांश मिलता है और जो व्यक्ति दोनों में से किसी भी विकल्प को नहीं चुनना चाहता है ,उसे ग्रोथ का ऑप्शन मिलाता है .जिससे उसकी नेट असेट वैल्यू बढ़ती जाती है .इस फंड्स से सम्बंधित सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जहाँ बीएसई के अन्य इंडेक्स के रिटर्न करीब 14 प्रतिशत है , वहीँ शरिया इंडेक्स का रिटर्न 18 प्रतिशत दर्ज किया गया है . इस प्रकार के फंड्स अल्पसंख्यको के लिए निहायत ही लाभकारी हो सकते है .
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