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महिला सशक्तिकरण पर लेख:

स्त्रियों की दासता और दोयम दर्जे की सामाजिक स्थिति का प्राचीन काल में साहसिक एवं तर्कपूर्ण प्रतिवाद किया गया था। मध्यकाल की शताब्दियों के लम्बे गतिरोध के दौर में स्त्री मुक्ति की वैचारिक पीठिका तैयार करने की दिशा में उद्यम लगभग रुके रहे और प्रतिरोध की धारा भी अत्यंत क्षीण रही। आधुनिक विश्व - इतिहास की ब्रह्मवेला में पुनर्जागरण काल के मानवतावाद और धर्मसुधार आन्दोलनों ने पितृसŸात्मकता की दारुण दासता के विरुद्ध स्त्री समुदाय में भी नई चेतना के बीज बोये जिनका प्रस्फुटन प्रबोधन काल में हुआ। जो देश औपनिवेशिक गुलामी के नीचे दबे होने के कारण मानवतावाद और तर्क बुद्धिवाद के नवोन्मेष से अप्रभावित रहे और  जहाँ इतिहास की गति कुछ विलम्बित रही, वहॉँ भी राष्ट्रीय जागरण और मुक्ति संघर्ष के काल में स्त्री समुदाय में अपनी मुक्ति की नई चेतना संचारित हुई। हालाँकि उनकी अपनी इतिहासजनित विशिष्ट कमजोरियाँॅ थीं जो आज भी बनी हुई है और इन उŸार औपनिवेशिक समाजों में स्त्री आन्दोलन के वैचारिक सबलता और व्यापक आधार देने का काम किसी एक प्रबल वेगवाही सामाजिक झंझावात को आमंत्रण देने के दौरान ही पूरा किया जा सकता है।

महिला सशक्तिकरण:सामाजिक द्वंद्व

महिला सशक्तिकरण एवं सामाजिक द्वन्द्व  19वीं शताब्दी महिलाओं की शताब्दी के रूप में उभर कर सामने आई।  यह वह दौर था जब सम्पूर्ण विश्व में महिलाओं की अच्छाई-बुराई, प्रकृति, क्षमताएँ एवं उर्वरा को लेकर गर्मागर्म बहसें चल रही थी। स्त्री की ‘स्थिति‘ पुनः व्याख्यायित हुई। भारतीय मानस पर यूरोप के स्वतंत्रता, तार्किकता और मानवीयता के विचार के सहवŸार् प्रभाव ने एक खुलापन प्रारम्भ किया एवं अन्य प्रश्नों के साथ ही स्त्री-प्रश्नों को विचार के केन्द्र में रखा गया। इन प्रश्नों पर अंग्रेज व भारतीय समाज सुधारकों दोनों ने विचार किया। जहाँ प्रारम्भ में तटस्थ अंग्रेजों के लिए ये प्रश्न स्त्रियों की दयनीय स्थिति में औपनिवेशिक राज्य के संरक्षण एवं दखल की आवश्यकता से जन्में थे, औपनिवेशिक विचारधारा के निर्णायक औजार बन गये थे, वहीं भारतीय बुद्विजीवियों ने दोहरे मूल्यबोधों के साथ इस विषय पर विचार किया। एक ओर प्राचीन युग में प्रासांगिक मूल्य खोजने की मुहिम चली तो दूसरी ओर पाश्चात्य प्रभाव के प्रकाश में आए नये विचारां ने उन्हें उद्वेलित किया। मूल्यों की टकराहट से अनिश्चय की स्थिति पैदा हुई।1 भारतीय सुधारक पूर्